Chhatrapati Shivaji Maharaj : एक महान हिंदू सम्राट
Chhatrapati Shivaji Maharaj : 17 वी सदी में जब हिन्दुस्तान में मुघल साम्राज्य का बोलबाला था। औरंगजेब दिल्ली की गद्दी बर बैठकर उत्तर से लेकर दक्षिण तक पुरे देश में अपना साम्राज्य बनाना चाहता था, लेकिन तब पुणे स्थित शिवनेरी किले पर माँ जिजाऊ ने छत्रपती शिवाजी महाराज जैसे महान सम्राट को जन्म दिया। और दिल्ली के गद्दी पर बैठे औरंगजेब के सपनों पर पानी फेर दिया। इस महान सम्राट के बारे में इतिहास के पाठ्यक्रमों में बहुत कम पढ़ने को मिला है। आज इस लेख के माध्यम से जानते है इस महान सम्राट के बारे मे।
Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!Chhatrapati Shivaji Maharaj का बचपन
पुणे जिले में जुन्नर के पास शिवनेरी किले पर १९ फेब्रुवारी इ.स. 1630 को छत्रपती शिवाजी महाराज का जन्म हुआ। माता का नाम जिजाऊ और पिता का नाम शहाजी राजे भोसले। शहाजीराजे का मूल गाव वेरूळ (एलोरा) जो छत्रपती संभाजीनगर जिले मे स्थित है। छत्रपती शिवाजी महाराज का नाम शिवनेरी किले की देवता माँ शिवाई देवी के नाम से रखा था। छत्रपती शिवाजी महाराज के पिताजी शहाजीराजे भोसले एक मराठा सेनापती थे जो दख्खन की सल्तनत की सेवा में थे। उस समय दख्खन की सत्ता विजापूर, अहमदनगर और गोलकुंडा इन तीन सल्तनत में बटी हुई थी। शहाजीराजे ने निजाम, अदिलशहा और मुघल इन तीनो के दरबार अपनी सेवाए दी।
1636 में विजापूर के अदिलशहा ने दक्षिण के राज्यों पर आक्रमण किए। यह सल्तनत अब मुघल साम्राज्य का एक अंग बन चुकी थी। उस समय शहाजीराजे अदिलशहा की सेवा में सरदार थे। शहाजीराजे ने मुगलों के विरुद्ध कुछ मुहिम चलाई लेकिन उसमे वह अयशस्वी रहे। इस कारण मुघल सैनिक उनका पीछा करते थे इसलिए शिवाजी महाराज और माँ जिजाऊ को हमेशा इस किले से उस किले पर रहने के लिए जाना पडता था।
1636 में शहाजीराजे विजापूर की सेवा दाखल हो गए और उनको पुणे की जहागीर मिली। शहाजीराजे ने तुकाबाई के साथ दुसरा विवाह किया। माँ जिजाऊ छोटे शिवाजी को लेकर पुणे में रहने के लिए गए। तुकाबाई और शहाजीराजे इनको एकोजी भोसले (व्यंकोजी) पुत्र हुआ जिन्होंने तंजावर (तमिलनाडु) में अपना राज्य स्थापन किया। शिवाजी महाराज और माँ जिजाऊ पुणे में स्थाईक हो गए। अदिलशहा ने शहाजीराजे को बेंगलुरु में तैनात किया इसके कारण 1647 में बाल शिवाजी महाराज ने कारोबार अपने हाथ मे लिया और सीधे विजापूर के सत्ता को आव्हान दिया।
पुणे में जब माँ जिजाऊ के साथ शिवबा रहने गए तब वहा के किसानो की अवस्था बहुत ही दयनीय थी। तब शिवाजी राजे ने कुछ अच्छे निर्णय लेकर किसानो की अवस्था को सुधारा और उनको अपनी और किया आगे चलकर उन्हें मावळा (सैनिक) कहा गया। छत्रपती शिवाजी महाराज की आद्य गुरु माँ जिजाऊ है।
इ. स. 1646 में विजापूर के सुलतान की बीमारी के कारण विजापूर के दरबार में गडबडी हो गई और इसी गडबडी का फायदा शिवाजी राजे ने लिया। 16 साल की उम्र में उन्होंने तोरणा किला जीता और एक बड़ा खजिना अपने कब्जे में कर लिया। अगले तीन सालों में राजे ने कई महत्वपूर्ण किलो को अपने कब्जे में कर लिया। और सुपे, बारामती और इंदापूर भी अपने कब्जे में कर लिया। तोरणा के सामने वाला मुरंब देव किला जीतकर उसका अच्छे से बनाया और उसका नाम राजगड रखा। यही राजगड दस सालों से भी अधिक समय तक शिवाजी महाराज के राज्य की राजधानी रही।
इसके बाद छत्रपती शिवाजी महाराज ने अपनी मुहिम को कोकण की ओर बढ़ाया। उसी समय कल्याण को अपने कब्जे कर लिया। 1648 मे विजापूर के दरबार से शिवाजी महाराज को पकडने का प्रयास किया गया। लेकिन उसमे वो अयशस्वी रहे। तभी विजापूर के शासक के आदेश पर बाजी घोरपडे ने शहाजीराजे राजे को कैद किया। 1649 से 1655 तक छत्रपती शिवाजी महाराज ने अपने राज्य के विकास के लिए शांतता पूर्ण कार्य किया। और अपने पिताजी के छूटने के बाद छत्रपती शिवाजी महाराज ने फिरसे अपने मुहिमो को शुरू किया। 1664-1665 में शहाजीराजे का शिकार करते हुए निधन हो गया।
अफजल खान का वध
छत्रपती शिवाजी महाराज के कारण विजापूर के सल्तनत को भारी नुकसान हो रहा था। मुगलों से शांति करार और विजापूर की गद्दी स्थिर होने के बाद विजापूर के शासक अली आदिल शाह द्वितीय ने अपना लक्ष्य शिवाजी महाराज की ओर बढ़ाया। 1657 में सुलतान और उनकी माँ ने अफजल खान नामक अनुभवी सेनापती को शिवाजी महाराज को पकडने के लिए भेजा। अफजल खान अपनी फौज लेकर माँ बहनों की अब्रू लुटते हुए, किसानो का नुकसान करते हुए, हिंदू मंदिरों को तोड़ते हुए स्वराज्य में पहुच गया। इसमे पंढरपुर का विठ्ठल मंदिर, तुळजापूर का भवानी मंदिर जो शिवाजी महाराज के लिए बहुत पवित्र था। अफजल खान और उसकी बड़ी सेना ने शिवाजी महाराज का पीछा किया तब शिवाजी महाराज प्रतापगढ़ पर पहुच गए। अफजल खान की इतनी बड़ी सेना से लढना शक्य नही था और अफजलखान को शिवाजीमहाराज से बड़ी सेना होने के बावजूद साधनों की कमी के कारण लढ नहीं सकता था। 2 महीने के बाद अफजल खानने शिवाजी महाराज के पास दूत को भेजा और मिलने की तारीख और ठिकाण तय हो गया। 10 नवंबर 1659 को प्रतापगढ़ पायथे के पास छत्रपती शिवाजी महाराज और अफजल खान की भेट हुई। शिवाजी महाराज के साथ जिवा महाला थे और अफजल खान के साथ सैयद बंडा। अफजल खान ने शिवाजी महाराज को गले मिलने का नाटक किया और शिवाजी महाराज के पीठ पर कट्यार से वार किए लेकिन चिलखत के कारण शिवाजी महाराज बच गए। तभी शिवाजी महाराज ने बाघनख से अफजल खान का पेट फाड़ दिया। अफजल खान जोर से चिल्लाया वह आवाज सुनकर सैयद बंडा ने शिवाजी महाराज पर दांडपट्टा से वार किया लेकिन वह वार जिवा महाला ने अपने ऊपर झेला और एक ही पट्टे में सैयद बंडा को खत्म कर दिया। तब से कहा जाता है “होता जिवा म्हणुन वाचला शिवा। ” बाकी काम सैनिकों ने कर दिया।
इसपर फिल्म बनी है काफी रोमांचक है वह आप देख सकते हैं।
ऐसी कई युद्ध छत्रपती शिवाजी महाराज और उनके साथियों ने लढे।
वैवाहिक जीवन
शिवाजी महाराज का 14 मई 1640 में सईबाई से विवाह हुआ। यह उनकी पहली पत्नी थी और संभाजी महाराज की माँ। शिवाजी महाराज के कुल 8 विवाह हुए, जो राजनीति के कारण उनको करने पडे।
छत्रपती शिवाजी महाराज की पत्नियां :
1) सईबाई (संभाजी, रानूबाई, सखूबाई,अंबिकाबाई)
2) सोयराबाई ( राजाराम और दीपा बाई )
3) सकवरबाई ( कमलाबाई)
4) सगुणाबाई ( रेजकुवरबाई)
5) पुतलाबाई
6) काशीबाई
7) लक्ष्मीबाई
8) गुवंताबाई
राज्याभिषेक
सन् १६७४ तक शिवाजी ने उन सारे प्रदेशों पर अधिकार कर लिया था जो पुरन्दर की सन्धि के अन्तर्गत उन्हें मुग़लों को देने पड़े थे। तब छत्रपती शिवाजी महाराज ने अपना राज्याभिषेक किया और ऑक्टोबर 1674 को छत्रपती को उपाधि ली। इस राज्याभिषेक में विविध राज्यों के प्रतिनिधि और विदेशी दूत भी शामिल थे। विजय नगर के पतन के बाद यह दक्षिण में पहला हिन्दू साम्राज्य बना।
नौसेना की स्थापना
छत्रपती शिवाजी महाराज एक दूरदृष्टी के नेता थे उनको पता था कि देश को कहा से खतरा है इसलिए उन्होंने अपनी नौसेना उभारी उस नौसेना का नेतृत्व कान्होजी आंग्रे ने किया। इसी के उपलक्ष्य में भारतीय नौसेना ने नौसेना के ध्वज पर शिवाजी महाराज की राजमुद्रा को स्थान दिया है। छत्रपती शिवाजी महाराज को भारतीय नौसेना का जनक भी माना जाता है।
कुछ प्रमुख तिथियां:
1) 19 फेब्रुवारी 1630
2) 14 मई 1640 सईबाई के विवाह
3) शिवाजी महाराज और सोयाराबाई का विवाह
4) शिवाजी महाराज ने चन्द्रराव मोरे से जावली जीता लिया
5) 1659 : शिवाजी महाराज ने अफजल खान का वध
6) 5 सितंबर, 1659 :छत्रपती संभाजी महाराज का जन्म
7) 1659 : शिवाजी महाराज ने बीजापुर पर अपना अधिकार स्थापित किया
8) 1665 : शिवाजी महाराज ने औरंगजेब के साथ पुरंदर शांति संधी पर हस्ताक्षर किया
9) 1666 : शिवाजी महाराज आगरा कारावास से पलायन
10) 1667 : औरंगजेब राजा शिवाजी महाराज के शीर्षक अनुदान
11) 1668 : शिवाजी महाराज और औरंगजेब के बीच शांति संधी
12) 1670 : शिवाजी महाराज ने दूसरी बार सूरत पर धावा बोला
13) 1674 : शिवाजी महाराज ने रायगढ़ में ‘छत्रपति’की पदवी मिली और राज्याभिषेक करवाया ।
14) 18 जून1974 को जीजाबाई की मृत्यु
15) 5 अप्रैल 1680 : शिवाजी महाराज की मृत्यु
राजमुद्रा
प्रतिपच्चंद्रलेखेव वर्धिष्णुर्विश्ववंदिता शाहसुनोः शिवस्यैषा मुद्रा भद्राय राजते।
धार्मिक नीती
शिवाजी एक धर्मपरायण हिंदू शासक थे तथा वह धार्मिक सहिष्णु भी थे। उनके साम्राज्य में मुसलमानों को धार्मिक स्वतंत्रता थी। कई मस्जिदों के निर्माण के लिए शिवाजी महाराज ने अनुदान दिया। हिन्दू पण्डितों की तरह मुसलमान सन्तों और फ़कीरों को भी सम्मान प्राप्त था।
महिलाओ के प्रती सम्मान
छत्रपती शिवाजी महाराज का नाम महिलाओं के प्रति सम्मान के लिए हमेशा लिया जाता है। पर स्त्री को उन्होने हमेशा माँ दर्जा दिया।
ऐसे महान सम्राट और महाराजा के बारे लिखने के लिए शब्द बहुत कम पडते है। इस महान सम्राट को शतशः नमन!
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